यह कहानी है, एक सोच की, एक व्यक्ति कि जिसने कुछ ऐसा सोचा जिसने कई आदिवासी लड़कियों की ज़िंदगी को ना सिर्फ बदला उनके सोचने के तरीके को भी बदल दिया ।।

इस कहानी के मुख्य किरदार के बारे में बता दूं, उनका नाम है, Franz Gastler मैं इस बात का तो दावा कर सकता हूं, आपने इनका नाम पहली बार सुना होगा ये है, युवा संस्थान के संस्थापक ( फुटबॉल और स्कूल के माध्यम से, युवा लड़कियों को दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक, उज्जवल भविष्य के लिए अपने आत्म-मूल्य की खोज करने का अधिकार देता है ) ।।

जब Franz Gastler ने 2007 में भारत के झारखंड में एक एनजीओ में खुद को अंग्रेजी पढ़ाते हुए पाया, तो उन्हें पता नहीं था कि कभी वो झारखंड की महिला युवाओं को अपना भविष्य तलाशने में मदद करेंगे,झारखंड में, कामकाजी महिलाएँ और लड़कियाँ ज्यादातर अनपढ़ हैं, हर साल पचास प्रतिशत स्कूल से बाहर हो जाते हैं और फिर या तो वह दुल्हन बन जाती है या लोग मजदूर या सेक्स वर्कर के रूप में उनकी तस्करी करते हैं। वे केवल महिला होने के कारण उनको एक उज्वल भविष्य नहीं मिल पाता है ।

Soccer के साथ जिंदगियां बदलते हुए ।।
Franz Gastler ने यहां की लड़कियों की बहुत मदद की, इसकी शुरुआत कुछ इस तरह से हुई की एक दिन उन्होंने लड़कियों के एक समूह से पूछा कि आपको खाली वक्त में क्या करना पसंद है तो उनमें से एक ने कहा Soccer उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें खेलना तो नहीं आता पर वह इस खेल को खेलना चाहती है और यहीं से शुरुआत हुई Soccer से जिंदगी बदलने की, और इस वादे को नाम दिया गया युवा ।।

वह मैदान उन लोगों के लिए वही जगह बन गयी जहां वह सब मिलते थे, उनमें प्रतिद्वंद्विता होती थी और वह सब एक साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की और आगे बढ़ते थे,और देखते-देखते यह प्रोग्राम भारत में लड़कियों के Soccer खेलने का सबसे बड़ा प्रोग्राम बन गया, इस प्रोग्राम में बहुत तरक्की की और देखते ही देखते इस प्रोग्राम के अंदर 500 खिलाड़ी और 40 कोच शामिल हो गए जिसमें से ज्यादातर महिलाएं थी, लेकिन Franz को यह पता था केवल Soccer से इन लड़कियों की जिंदगी नहीं बदलेगी इनको अपनी जिंदगी बदलने के लिए एक और बहुत जरूरी चीज चाहिए और वह है शिक्षा ..

और आखिरकार सन 2015 में Franz और उनकी पत्नी Rose 100000 Dollar जमा कर उस स्कूल की शुरुआत की, उस स्कूल में एक बार में करीब 94 बच्चे पढ़ते हैं और उसमें दुनिया के बेस्ट यूनिवर्सिटीज जैसे कि Harvard, MIT, Yale जैसी यूनिवर्सिटीज के टीचर्स पढ़ाते हैं ।।

Franz का ऐसा मानना था कि पढ़ाई और Soccer की मदद से यह लड़कियां एक एक सकारात्मक सोच हासिल कर पाएगी ।।
और इसमें इन्हे सफलता भी मिल रही है, इसके तीन युवा छात्र राज्य विभाग के वित्तपोषित कैनेडी-लुगर यूथ एक्सचेंज एंड स्टडी (वाईईएस) छात्रवृत्ति कार्यक्रम के प्राप्तकर्ता हैं, इसकी एक स्टूडेंट रेणु अभी Yale यूनिवर्सिटी में है, इसकी एक और छात्र अभी Cambridge यूनिवर्सिटी के ग्रीष्म काल के प्रोग्राम में भाग ले रही है, और ना जाने ऐसी कितनी कहानियां है, युवा की लड़कियों के लिए सफलता एक बहुत ही साधारण चीज है ।।

लेकिन यह दौड़ अभी खत्म नहीं हुई है इसकी तो बस अभी शुरुआत हुई है Franz और उनकी पत्नी Rose लगातार इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं और साल 2017 में उन्होंने Microsoft के प्रोग्राम में भाग लिया, और Microsoft ने उनके कार्य को बहुत सराहा और इसके लिए उन्हें फंड भी दिए ।।

वैसे तो उन्होंने कई लोगों की जिंदगी बदली, लेकिन आज के वक्त में शायद अज्ञानता है या डर पता नहीं लेकिन इसका खामियाजा Franz को भुगतना पड़ रहा है, हाल में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण ने वहां के लोगों को इतना डरा दिया कि वह Franz को वहां से जाने के लिए कह रहे है, इसका मुख्य कारण क्या है उन लोगों को लगता है कि कोरोनावायरस नाम की जो बीमारी है वह बाहरी लोगों से फैलती है, उनका डर दूर करने के लिए Franz और उनकी पत्नी दोनों ने टेस्ट भी कराएं जिनमें वह नेगेटिव पाए गए परंतु लोगों का डर कम नहीं हो रहा था इस कारण उन्होंने अमेरिका के दूतावास से बात कर उन्हें वापस पहुंचाने की अपील की है ।।

हम भारत में अतिथियों को भगवान की तरह पूजते है,या तो डर है या कम जानकारी जो वहां के लोगों को ऐसा करने पर मजबूर कर रही है मेरी और हमारी पूरी टीम कि झारखंड सरकार से अपील है कि Franz और उनकी पत्नी की मदद की की जाए और वहां के लोगों को यह समझाया जाए कि बीमारी का असली कारण क्या है ।।

हम कभी भी नहीं चाहेंगे कि ऐसा व्यक्ति जिसने इस राज्य के इतने सारे लोगों की जिंदगी को बदल कर रख दिया उनके साथ ऐसा हो ।। ??